कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कहा कि भाजपा दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह का बयान भरोसेलायक नहीं हैं। दरअसल शाह ने 26 फरवरी को कहा था कि परिसीमन की वजह से दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट कम नहीं होगी।
सिद्धारमैया ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सच में दक्षिणी राज्यों के लिए निष्पक्षता चाहती है, तो गृह मंत्री बताएं कि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होगा या लोकसभा सीटों की वर्तमान संख्या के आधार पर होगा।
परिसीमन जनसंख्या के हिसाब से हुआ तो दक्षिणी राज्यों के साथ घोर अन्याय होगा। दक्षिणी राज्यों में लोकसभा सीटें या तो कम होंगी या उनमें कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। जबकि उत्तरी राज्यों को ज्यादा सीटें मिलेंगी।
कर्नाटक में लोकसभा सीटें 28 से घटकर 26 रह जाएंगी। इसी तरह आंध्र प्रदेश की सीटें 42 से घटकर 34, केरल की 20 से घटकर 12 और तमिलनाडु की 39 से घटकर 31 रह जाएंगी। वहीं, उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों की संख्या 80 से बढ़कर 91, बिहार में 40 से 50 और मध्य प्रदेश में 29 से 33 हो जाएगी। यह अन्याय नहीं है तो क्या है।
शाह ने कहा था- परिसीमन के बाद दक्षिणी राज्य की सीटें कम नहीं होंगी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के दौरे पर 26 फरवरी को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस दावे को खारिज किया कि आबादी के आधार पर परिसीमन किया गया तो राज्य में 8 लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी। स्टालिन पर परिसीमन प्रक्रिया को लेकर गलत सूचना अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए शाह ने आश्वस्त किया कि तमिलनाडु की सीटों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी। परिसीमन आनुपातिक आधार पर किया जाएगा।
सीएम स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा कि यदि हिंदी को तमिलनाडु पर ‘थोपा’ नहीं गया तो द्रमुक इसका विरोध नहीं करेगी। तमिलों पर भाषा थोपना उनके आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ है। स्टालिन की यह टिप्पणी राज्य में भाषा को लेकर विवाद के बीच आई है। द्रमुक ने आरोप लगाया है कि केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फॉर्मूले के जरिए हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है।